Donald Trump: सैनिकों को मिलेगा 1776 डॉलर का Warrior Bonus

Jyoti Atmaram Ghag
Jyoti Atmaram Ghag

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्र के नाम संबोधन में एक बार फिर वही किया, जिसके लिए वह जाने जाते हैं—
Bold claims, strong words और सीधा संदेश।

अपने भाषण की शुरुआत में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी ताकत को दोबारा खड़ा किया है और दुनिया को साफ संकेत दिया है कि अब अमेरिका सिर्फ देखता नहीं, फैसला करता है।

“10 महीनों में 8 युद्ध खत्म” – ट्रंप का ग्लोबल मैसेज

राष्ट्र को संबोधित करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि उनके नेतृत्व में सिर्फ 10 महीनों में 8 युद्धों का निपटारा किया गया। उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु खतरे को पूरी तरह खत्म किया गया। गाजा में युद्ध समाप्त हुआ और मिडिल ईस्ट में 3000 सालों में पहली बार शांति देखने को मिली।

ट्रंप के मुताबिक, इस प्रक्रिया में जीवित और मृत—दोनों तरह के बंधकों की रिहाई भी संभव हो सकी। 
जहां दुनिया अभी “verification” मांग रही है, वहीं ट्रंप का स्टेटमेंट पहले ही history book version में पहुंच चुका है।

क्रिसमस से पहले सैनिकों को “Warrior Dividend”

भाषण का सबसे इमोशनल और तालियां बटोरने वाला हिस्सा तब आया, जब ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों के लिए बड़ी घोषणा की।

उन्होंने कहा कि 14 लाख 50 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैन्य कर्मियों को क्रिसमस से पहले एक Special Warrior Bonus दिया जाएगा। अमेरिका की स्थापना वर्ष 1776 के सम्मान में— हर सैनिक को 1,776 डॉलर मिलेंगे।

ट्रंप ने कहा, “यह उन योद्धाओं के लिए है, जिन्होंने अमेरिका को सुरक्षित रखा।”

मतलब साफ है— Patriotism के साथ Paycheck भी।

बॉर्डर पर Zero Tolerance Policy

अपने संबोधन में ट्रंप ने इमिग्रेशन पर भी सख्त रुख दोहराया। उन्होंने दावा किया कि पहले ही दिन दक्षिणी सीमा पर कड़ा एक्शन लिया गया। पिछले 7 महीनों में एक भी अवैध अप्रवासी अमेरिका में दाखिल नहीं हो सका

ट्रंप बोले— “जिसे सब असंभव कह रहे थे, हमने उसे कर दिखाया।”

जहां आंकड़े बहस मांगते हैं, वहीं ट्रंप का आत्मविश्वास खुद ही final report बन जाता है।

भाषण का साफ संदेश

इस Nation Address से ट्रंप ने तीन बातें साफ कर दीं:

  1. अमेरिका फिर से Global Power Mode में है
  2. सैनिकों और सेना को Top Priority
  3. बॉर्डर और सिक्योरिटी पर No Compromise

ट्रंप-स्टाइल में कहें तो— शब्द कम नहीं थे, दावे छोटे नहीं थे और मैसेज बिल्कुल सीधा था “America First, बाकी बाद में।”

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